होके मायुस ना
यु शाम
की तरह
ढलते रहिये,
यु शाम
की तरह
ढलते रहिये,
जिन्दगी एक भोर
है सुरज
कि तरह
निकलते रहिये,
है सुरज
कि तरह
निकलते रहिये,
ठहरोगे एक पाव
पर तो
थक जाओगे,
पर तो
थक जाओगे,
धीरे धीरे ही
सही मगर
राह पर
चलते रहिये..
सही मगर
राह पर
चलते रहिये..
=-=-=-=-=
तुम्हारे जैसे हमने
देखनेवाले नहीं देखे |
देखनेवाले नहीं देखे |
जिगर में किस
तरह से
रंजो ग़म
पाले नहीं
देखे ||
तरह से
रंजो ग़म
पाले नहीं
देखे ||
यहाँ पर जात
मजहब का
हवाला सबने
देखा है|
मजहब का
हवाला सबने
देखा है|
किसी ने भी
हमारे पाओं
के छाले
नहीं देखे
||
हमारे पाओं
के छाले
नहीं देखे
||
=-=-=-=-=
कदम उठने नहीं
पाते, के
रास्ता काट
देता है|
पाते, के
रास्ता काट
देता है|
मेरे मालिक
मुझे आखिर
तू कब
तक आजमाएगा||
मुझे आखिर
तू कब
तक आजमाएगा||
=-=-=-=-=
हमने भी सोकर
देखा हैं
नए पुराने
सहरो में
देखा हैं
नए पुराने
सहरो में
पर जैसा भी
हो अपने
गर का
बिस्तर अच्छा
लगता हैं
हो अपने
गर का
बिस्तर अच्छा
लगता हैं
=-=-=-=-=
ठिकाना कब्र है
तेरा, इबादत
कुछ तो
कर ग़ाफिल,
तेरा, इबादत
कुछ तो
कर ग़ाफिल,
कहावत है कि
खाली हाथ
घर जाया
नहीं करते..
खाली हाथ
घर जाया
नहीं करते..
=-=-=-=-=
फ़िक्र-ऐ -ज़िन्दगी
ने थोड़े
फासले बड़ा
दिए हैं
वरना
ने थोड़े
फासले बड़ा
दिए हैं
वरना
सब दोस्त साथ
ही थे
,अभी कल
की ही
तो बात
हैं
ही थे
,अभी कल
की ही
तो बात
हैं
=-=-=-=-=
क्या हुआ जो
बदल गयी
है दुनिया
बदल गयी
है दुनिया
मैं भी तो
बहोत बदल
गया हूँ
बहोत बदल
गया हूँ
=-=-=-=-=
मोहब्बतें तो कभी
रास न
आई हमको
रास न
आई हमको
नफरतों के बीच
कभी हम
रहे ही
नहीं
कभी हम
रहे ही
नहीं
=-=-=-=-=
तहज़ीब में भी
उसकी क्या
ख़ूब अदा
थी,,
उसकी क्या
ख़ूब अदा
थी,,
नमक भी अदा
किया तो
ज़ख़्मों पर
छिड़क कर.!!!!!
किया तो
ज़ख़्मों पर
छिड़क कर.!!!!!
=-=-=-=-=
हर शख्स दौड़ता
हैं यहाँ भीड़ की तरफ
हैं यहाँ भीड़ की तरफ
फिर भी चाहता
है
उसे रास्ता मिले
है
उसे रास्ता मिले
=-=-=-=-=
हर तरफ हर
जगह बेशुमार
आदमी ,
जगह बेशुमार
आदमी ,
फिर भी तनहाइयों
का शिकार
आदमी
का शिकार
आदमी
=-=-=-=-=
ख़ुदा को पा
गया वाइज़
मगर है
,
गया वाइज़
मगर है
,
ज़रूरत आदमी को
आदमी की
आदमी की
=-=-=-=-=
घरों पे नाम
थे नामों
के साथ
ओहदे थे
,
थे नामों
के साथ
ओहदे थे
,
बहुत तलाश किया
कोई आदमी
न मिला
कोई आदमी
न मिला
=-=-=-=-=
वक्त रहता नहीं
कहीं छुपकर
,
कहीं छुपकर
,
इस की आदत
भी आदमी
सी है.
भी आदमी
सी है.
=-=-=-=-=
आदमी आदमी से
मिलता है
,
मिलता है
,
दिल मगर कम
किसी से
मिलता है.
किसी से
मिलता है.
=-=-=-=-=
एक ही चौखट
पे सर
झुके
पे सर
झुके
तो सुकून मिलता
है
है
भटक जाते हैं
वो लोग
वो लोग
जिनके हजारों खुदा
होते हैं
होते हैं
=-=-=-=-=
यह शहर जालिमो
का है
संभल कर
चलना
का है
संभल कर
चलना
लोग सीने से
लग कर
दिल ही
निकाल लेते
हैं
लग कर
दिल ही
निकाल लेते
हैं
=-=-=-=-=
मेरी इबाबतो को
ऐसे कर
कबूल ऐ
खुदा
ऐसे कर
कबूल ऐ
खुदा
के सजदे में
,मै झुकू
तो हर
रिश्तों कि
जिन्दगी सवर
जाये !
,मै झुकू
तो हर
रिश्तों कि
जिन्दगी सवर
जाये !
=-=-=-=-=
वो लोग भी
चलते है
आजकल तेवर
बदलकर….
चलते है
आजकल तेवर
बदलकर….
जिन्हे हमने ही
सिखाया था
चलना संभल
कर…..
सिखाया था
चलना संभल
कर…..
=-=-=-=-=
वाह रे जिन्दगी
! भरोसा एक
पल का
भी नहीं
तेरा,
! भरोसा एक
पल का
भी नहीं
तेरा,
और नखरे तेरे,
मौत से
भी ज्यादा…
मौत से
भी ज्यादा…
=-=-=-=-=
भूल जाओ उन
तारीखो को
जो चाबुक
बन कर
बरसे
तारीखो को
जो चाबुक
बन कर
बरसे
याद रखो वो
पल जो
तुम्हारी यादो
में खुशियो
के संग
बरसे.
पल जो
तुम्हारी यादो
में खुशियो
के संग
बरसे.
=-=-=-=-=
चंद फासला जरूर
रखिए हर
रिश्ते के
दरमियान
रखिए हर
रिश्ते के
दरमियान
कयोकि बदलने वाले
अक्सर बेहद
अजीज ही
हुआ करते
हैं…
अक्सर बेहद
अजीज ही
हुआ करते
हैं…
=-=-=-=-=
मैं झुक गया
तो वो
सज़दा समझ
बैठे,
तो वो
सज़दा समझ
बैठे,
मैं तो इन्सानियत
निभा रहा
था, वो
खुद को
ख़ुदा समझ
बैठे..
निभा रहा
था, वो
खुद को
ख़ुदा समझ
बैठे..
=-=-=-=-=
पोंछ लो अपने
बहते हुए
आँसुओ को
बहते हुए
आँसुओ को
भला कौन रहना
पँसद करता
है टपकते
हुए मकानोँ
मेँ
पँसद करता
है टपकते
हुए मकानोँ
मेँ
=-=-=-=-=
भरोसा “खुदा” पर
है, तो
जो लिखा
है तकदीर
में, वो
ही पाओगे।
है, तो
जो लिखा
है तकदीर
में, वो
ही पाओगे।
मगर, भरोसा अगर
“खुद” पर है, तो खुदा
वही लिखेगा,
जो आप
चाहोगे ।।
“खुद” पर है, तो खुदा
वही लिखेगा,
जो आप
चाहोगे ।।
=-=-=-=-=
ज़िन्दगी एक हसीन
ख़्वाब है
जिसमें जीने
की चाहत
होनी चाहिये,
ख़्वाब है
जिसमें जीने
की चाहत
होनी चाहिये,
ग़म खुद ही
ख़ुशी में
बदल जायेंगे,
सिर्फ मुस्कुराने
की आदत
होनी चाहिये.
ख़ुशी में
बदल जायेंगे,
सिर्फ मुस्कुराने
की आदत
होनी चाहिये.
=-=-=-=-=
अजीब तमाशा है
मिट्टी के
बने लोगों
का यारों,
मिट्टी के
बने लोगों
का यारों,
बेवफ़ाई करो तो
रोते हैं
और वफ़ा
करो तो
रुलाते हैं!
रोते हैं
और वफ़ा
करो तो
रुलाते हैं!
=-=-=-=-=
कड़ी से कड़ी
जोड़ते जाओ
तो जंजीर
बन जाती
है॥
जोड़ते जाओ
तो जंजीर
बन जाती
है॥
मेहनत पे मेहनत
करते रहो
तो तक़दीर
बन जाती
है।”
करते रहो
तो तक़दीर
बन जाती
है।”
=-=-=-=-=
दो कदम तो
सब चल
लेते हे
जिंदगी भर
का साथ
कोइ नही
निभाता
सब चल
लेते हे
जिंदगी भर
का साथ
कोइ नही
निभाता
अगर रो कर
भुलाइ जाती
यादें तो
हसकर कोइ
गम ना
छुपाता ।।
भुलाइ जाती
यादें तो
हसकर कोइ
गम ना
छुपाता ।।
=-=-=-=-=
अच्छे ने अच्छा
और बुरे
ने बुरा
जाना मुझे
क्यों की
–
और बुरे
ने बुरा
जाना मुझे
क्यों की
–
जीसकी जीतनी जरुरत
थी उसने
उतना ही
पहचाना मुझे।
थी उसने
उतना ही
पहचाना मुझे।
=-=-=-=-=
सियासत लोगों पर
ये एहसान
करती है,
ये एहसान
करती है,
पहले आँखें छिनती
है फिर
चश्मे दान
करती है.
है फिर
चश्मे दान
करती है.
=-=-=-=-=
लोग फिर भी
घर बना
लेते हैं
भीगी रेत
पर,
घर बना
लेते हैं
भीगी रेत
पर,
जानते हैं बस्तियां
कितनी समंदर
ले गया।
कितनी समंदर
ले गया।
=-=-=-=-=
तू छोड़ दे
कोशिशें…..
कोशिशें…..
इन्सानों को पहचानने
की…!
की…!
यहाँ जरुरतों के
हिसाब से
….
हिसाब से
….
सब नकाब बदलते
हैं…!
हैं…!
=-=-=-=-=
अपने गुनाहों पर
सौ पर्दे
डालकर.
सौ पर्दे
डालकर.
हर शख़्स कहता
है-
है-
“ज़माना बड़ा ख़राब
है।”
है।”
=-=-=-=-=
सर झुकाने से
नमाज़ें अदा नहीं
होती …
होती …
दिल झुकाना पड़ता
है
है
इबादत के लिए
… !
… !
=-=-=-=-=
ग़लतियों से जुदा
तू भी
नही, मैं
भी नही,
तू भी
नही, मैं
भी नही,
दोनो इंसान हैं,
खुदा तू
भी नही,
मैं भी
नही … !
खुदा तू
भी नही,
मैं भी
नही … !
” तू मुझे ओर
मैं तुझे
इल्ज़ाम देते
हैं मगर,
मैं तुझे
इल्ज़ाम देते
हैं मगर,
अपने अंदर झाँकता
तू भी
नही, मैं
भी नही
” … !!
तू भी
नही, मैं
भी नही
” … !!
” ग़लत फ़हमियों ने
कर दी
दोनो मैं
पैदा दूरियाँ,
कर दी
दोनो मैं
पैदा दूरियाँ,
वरना फितरत का
बुरा तू
भी नही,
मैं भी
नही…!!
बुरा तू
भी नही,
मैं भी
नही…!!
=-=-=-=-=
एक पथ्थर सिर्फ
एक बार
मंदिर जाता
है और
भगवान बन
जाता है
..
एक बार
मंदिर जाता
है और
भगवान बन
जाता है
..
इंसान हर रोज़
मंदिर जाते
है फिर
भी पथ्थर
ही रहते
है ..!!
मंदिर जाते
है फिर
भी पथ्थर
ही रहते
है ..!!
=-=-=-=-=
एक औरत बेटे
को जन्म
देने के
लिये अपनी
सुन्दरता त्याग
देती है…….
को जन्म
देने के
लिये अपनी
सुन्दरता त्याग
देती है…….
और
वही बेटा एक
सुन्दर बीवी
के लिए
अपनी माँ
को त्याग
देता है
सुन्दर बीवी
के लिए
अपनी माँ
को त्याग
देता है
=-=-=-=-=
जीवन में हर
जगह
हम “जीत” चाहते हैं…
जगह
हम “जीत” चाहते हैं…
सिर्फ फूलवाले की
दूकान ऐसी
है जहाँ
हम कहते
हैं कि
“हार” चाहिए।
दूकान ऐसी
है जहाँ
हम कहते
हैं कि
“हार” चाहिए।
क्योंकि हम भगवान
से “जीत”
नहीं सकते।
से “जीत”
नहीं सकते।
=-=-=-=-=
धीमें से पढ़े
बहुत ही
अर्थपूर्ण है यह मेसेज…
बहुत ही
अर्थपूर्ण है यह मेसेज…
हम और हमारे
ईश्वर, दोनों
एक जैसे
हैं।
ईश्वर, दोनों
एक जैसे
हैं।
जो रोज़ भूल
जाते हैं…
जाते हैं…
वो हमारी गलतियों
को, हम
उसकी मेहरबानियों
को।
को, हम
उसकी मेहरबानियों
को।
=-=-=-=-=
थक गया हूँ
तेरी नौकरी
से ऐ
जिन्दगी
तेरी नौकरी
से ऐ
जिन्दगी
मुनासिब होगा मेरा
हिसाब कर
दे…!!”
हिसाब कर
दे…!!”
=-=-=-=-=
दोस्तों से बिछड़
कर यह
हकीकत खुली…
कर यह
हकीकत खुली…
बेशक, कमीने थे
पर रौनक
उन्ही से
थी!!
पर रौनक
उन्ही से
थी!!
=-=-=-=-=
भरी जेब ने
‘ दुनिया ‘ की पहेचान करवाई
‘ दुनिया ‘ की पहेचान करवाई
और खाली जेब
ने ‘ इन्सानो
‘ की.
ने ‘ इन्सानो
‘ की.
=-=-=-=-=
जब लगे पैसा
कमाने, तो
समझ आया,
कमाने, तो
समझ आया,
शौक तो मां-बाप के
पैसों से
पुरे होते
थे,
पैसों से
पुरे होते
थे,
अपने पैसों से
तो सिर्फ
जरूरतें पुरी
होती है।
तो सिर्फ
जरूरतें पुरी
होती है।
=-=-=-=-=
बिना लिबास आए
थे इस
जहां में,
थे इस
जहां में,
बस एक कफ़न
की खातिर,
की खातिर,
इतना सफ़र करना
पड़ा….!!!!
पड़ा….!!!!
=-=-=-=-=
हज़ारों ऐब
ढूँढ़ते है
हम दूसरों
में इस
तरह,
ढूँढ़ते है
हम दूसरों
में इस
तरह,
अपने किरदारों
में हम
लोग,फरिश्तें
हो जैसे….!!!!
में हम
लोग,फरिश्तें
हो जैसे….!!!!
=-=-=-=-=
ये सोच
कर की
शायद वो
खिड़की से
झाँक ले,
कर की
शायद वो
खिड़की से
झाँक ले,
उसकी गली
के बच्चे
आपस में
लड़ा दिए
मैंने….!!!!
के बच्चे
आपस में
लड़ा दिए
मैंने….!!!!
=-=-=-=-=
समय के
एक तमाचे
की देर
है प्यारे,
एक तमाचे
की देर
है प्यारे,
मेरी फ़क़ीरी
भी क्या,
भी क्या,
तेरी बादशाही
भी क्या….!!!!
भी क्या….!!!!
=-=-=-=-=
जैसा भी
हूं अच्छा
या बुरा
अपने लिये
हूं,
हूं अच्छा
या बुरा
अपने लिये
हूं,
मै खुद
को नही
देखता औरो
की नजर
से….!!!!
को नही
देखता औरो
की नजर
से….!!!!
=-=-=-=-=
मुलाकात जरुरी
हैं, अगर
रिश्ते निभाने
हो,
हैं, अगर
रिश्ते निभाने
हो,
वरना लगा
कर भूल
जाने से
पौधे भी
सुख जाते
हैं….!!!!
कर भूल
जाने से
पौधे भी
सुख जाते
हैं….!!!!
=-=-=-=-=
नींद आए
या ना
आए, चिराग
बुझा दिया
करो,
या ना
आए, चिराग
बुझा दिया
करो,
यूँ रात
भर किसी
का जलना,
हमसे देखा
नहीं जाता….!!!!
भर किसी
का जलना,
हमसे देखा
नहीं जाता….!!!!
=-=-=-=-=
दुनिया के बड़े
से बड़े
साइंटिस्ट,ये ढूँढ रहे है
की मंगल
ग्रह पर
जीवन है
या नहीं
से बड़े
साइंटिस्ट,ये ढूँढ रहे है
की मंगल
ग्रह पर
जीवन है
या नहीं
पर आदमी ये
नहीं ढूँढ
रहा कि
जीवन में
मंगल है
या नहीं!
नहीं ढूँढ
रहा कि
जीवन में
मंगल है
या नहीं!
=-=-=-=-=
मोबाइल चलाना
जिसे सिखा
रहा हूँ
मैं,
जिसे सिखा
रहा हूँ
मैं,
पहला शब्द
लिखना उसने
मुझे सिखाया
था….!!!!
लिखना उसने
मुझे सिखाया
था….!!!!
=-=-=-=-=
बैठ जाता हूं
मिट्टी पे
अक्सर…
मिट्टी पे
अक्सर…
क्योंकि मुझे अपनी
औकात अच्छी
लगती है..
औकात अच्छी
लगती है..
=-=-=-=-=
यहाँ हर
किसी को,
दरारों में
झाकने की
आदत है,
किसी को,
दरारों में
झाकने की
आदत है,
दरवाजे खोल
दो, कोई
पूछने भी
नहीं आएगा….!!!!
दो, कोई
पूछने भी
नहीं आएगा….!!!!
=-=-=-=-=
“तू अचानक
मिल गई
तो कैसे
पहचानुंगा मैं,
मिल गई
तो कैसे
पहचानुंगा मैं,
ऐ खुशी..
तू अपनी
एक तस्वीर
भेज दे….!!!!
तू अपनी
एक तस्वीर
भेज दे….!!!!
=-=-=-=-=
“इसी लिए
तो बच्चों
पे नूर
सा बरसता
है,
तो बच्चों
पे नूर
सा बरसता
है,
शरारतें करते
हैं, साजिशें
तो नहीं
करते….!!!!
हैं, साजिशें
तो नहीं
करते….!!!!
=-=-=-=-=
महँगी से
महँगी घड़ी
पहन कर
देख ली,
महँगी घड़ी
पहन कर
देख ली,
वक़्त फिर
भी मेरे
हिसाब से
कभी ना
चला …!!”
भी मेरे
हिसाब से
कभी ना
चला …!!”
=-=-=-=-=
युं ही
हम दिल
को साफ़
रखा करते
थे ..
हम दिल
को साफ़
रखा करते
थे ..
पता नही
था की,
‘किमत चेहरों
की होती
है!!’
था की,
‘किमत चेहरों
की होती
है!!’
=-=-=-=-=
“दो बातें
इंसान को
अपनों से
दूर कर
देती हैं,
इंसान को
अपनों से
दूर कर
देती हैं,
एक उसका
‘अहम’ और
दूसरा उसका
‘वहम’……
‘अहम’ और
दूसरा उसका
‘वहम’……
=-=-=-=-=
पैसे से
सुख कभी
खरीदा नहीं
जाता
सुख कभी
खरीदा नहीं
जाता
और दुःख
का कोई
खरीदार नहीं
होता।
का कोई
खरीदार नहीं
होता।
=-=-=-=-=
मुझे जिंदगी
का इतना
तजुर्बा तो
नहीं,
का इतना
तजुर्बा तो
नहीं,
पर सुना
है सादगी
में लोग
जीने नहीं
देते।
है सादगी
में लोग
जीने नहीं
देते।
=-=-=-=-=
“जिंदगी में हद
से ज्यादा
ख़ुशी और
हद से
ज्यादा गम
का कभी
किसी से
इज़हार मत
करना,
से ज्यादा
ख़ुशी और
हद से
ज्यादा गम
का कभी
किसी से
इज़हार मत
करना,
क्योंकि, ये दुनिया
बड़ी ज़ालिम
है,
हद से ज्यादा ख़ुशी पर
‘नज़र’ और
हद से
ज्यादा गम
पर ‘नमक’
लगाती है.”
बड़ी ज़ालिम
है,
हद से ज्यादा ख़ुशी पर
‘नज़र’ और
हद से
ज्यादा गम
पर ‘नमक’
लगाती है.”
=-=-=-=-=
पानी दरिया में
हो या
आँखों में
,
हो या
आँखों में
,
गहराई और राज़
दोनोंमें होते
हैं!!
दोनोंमें होते
हैं!!
=-=-=-=-=
Gam Na Karna Kabhi Zindgi Me Kyuki Taqdeer Badalti Rehti Hai
Shesha Wahi Rehta Hai Bas Tasveer Badalti Rehti Hai
=-=-=-=-=
Kaun kehta hai ki musafir zakhmi nahin hote;
raaste gawah hain,
bas kambakht gawahi nahin dete..
=-=-=-=-=
HAR WAQT JINDGI SE GILE SIKVE THIK NAHI….
KABHI TO CHHOD DO IN KASTIYO KO MOUJO K SAHAARE….
=-=-=-=-=
“गलत कहेते है
लोग की
सफेद रंग
मै वफा
होती है…दोस्तो…!!!!
लोग की
सफेद रंग
मै वफा
होती है…दोस्तो…!!!!
अगर ऐसा होता
तो आज
“नमक” जख्मो
की दवा
होता…..”
तो आज
“नमक” जख्मो
की दवा
होता…..”
=-=-=-=-=
“कई रिश्तों को
परखा तो
नतीजा एक
ही निकला,
परखा तो
नतीजा एक
ही निकला,
जरूरत ही सब
कुछ है,मुहब्बत कुछ
नहीं होती
।”
कुछ है,मुहब्बत कुछ
नहीं होती
।”
=-=-=-=-=
अगर भगवान नहीं
हैं
हैं
तो जिक्र क्यों.
..?
..?
और अगर भगवान
हैं
हैं
तो फिर फिक्र
क्यों. ..!!
क्यों. ..!!
=-=-=-=-=
हर एक इंसान
हवा में
उडा फिरता
हैं…
हवा में
उडा फिरता
हैं…
फिर न जाने
धरती पर
इतनी भीड़
क्यों है?
धरती पर
इतनी भीड़
क्यों है?
=-=-=-=-=
उम्मीद वर्षों से
दहलीज़ पर
खडी वो
मुस्कान है,
दहलीज़ पर
खडी वो
मुस्कान है,
जो हमारे कानों
में धीरे
से कहती
है;
में धीरे
से कहती
है;
“सब अच्छा होगा”
=-=-=-=-=
ठंड के कहर
में, वो
फकीर भी
मर गया….
में, वो
फकीर भी
मर गया….
जो एक रुपये
में,लाखों
की दुआएँ
देता था.
में,लाखों
की दुआएँ
देता था.
=-=-=-=-=
Kyu Dare, ki Zindagi Me Kya Hoga,
Har Waqt Kyu Soche Ki Bas Bura Hoga,
Badhte Rahe Bas Manzilo Ki ore,
Kuchh Na Bhi Mila To Kya,
Tazurba to naya Hoga.
=-=-=-=-=
Ab tu gam de ya fir khushi
Ye khuda ab jo hai teri marji….
=-=-=-=-=
Hak se de to teri Nafrat bhi Sar Aankho par. . .
Kheriyat me to teri mohabbat bhi manjur nahi. . .
=-=-=-=-=
Meray Bachpan Ke Din Bhi Kya Khoob The…. ,
Be-Namazi Bhi Tha Aur Be-Gunah Bhi…
=-=-=-=-=
जल जाते हैं
मेरे अंदाज़
से मेरे
दुश्मन
क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने
न मोहब्बत
बदली और
न दोस्त
बदले .!!
मेरे अंदाज़
से मेरे
दुश्मन
क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने
न मोहब्बत
बदली और
न दोस्त
बदले .!!
=-=-=-=-=
मगरूर हमें कहती
है तो
कहती रहे
दुनिया,
है तो
कहती रहे
दुनिया,
हम मुड़ कर
पीछे किसी
को देखा
नहीं करते…
पीछे किसी
को देखा
नहीं करते…
=-=-=-=-=
जरुरी नहीं रौशनी
चिरागो से
ही हो.
चिरागो से
ही हो.
बेटियां भी घर
मैं उजाला
करती हैं..
मैं उजाला
करती हैं..
=-=-=-=-=
Qadar karni hai tho jiteji karo,
Kafan uthane ke waqt to Nafrat karne waley bi Ro padte
hain..
hain..
=-=-=-=-=
kon kehta hai ki aadmi apni kismat khud likhta hai..
agar ye sach hai toh kismat me dard kon likta hai…
=-=-=-=-=
HAR WAQT JINDGI SE GILE SIKVE THIK NAHI….
KABHI TO CHHOD DO IN KASTIYO KO MOUJO K SAHAARE….
=-=-=-=-=
Jo Dil Ke Aainey Mein Ho,
Wohi Hai Pyaar Ke Qaabil
Warna Dewaar Ke Qabil To Har Tasveer hua karti Hai …
=-=-=-=-=
Mere aib mujhe ungliyon pe ginwaao,
Bas meri ghair maujoodgi mein mujhe bura na kehna..!
=-=-=-=-=
ये संगदिलों की
दुनिया है;
दुनिया है;
यहाँ संभल के
चलना ग़ालिब;
चलना ग़ालिब;
यहाँ पलकों पे
बिठाया जाता
है;
बिठाया जाता
है;
नज़रों से गिराने
के लिए।
के लिए।
=-=-=-=-=
ये जमीनकी फ़ितरत
है की
हर चिजको
सोख लेती
है ,,,
है की
हर चिजको
सोख लेती
है ,,,
वर्ना ,,
इन आँखों से
गिरनेवाले आंसुऔ का एक अलग
समंदर होता
!!!
गिरनेवाले आंसुऔ का एक अलग
समंदर होता
!!!
=-=-=-=-=
मोहब्बत भी अजीब
चीज बनायीं
खुदा तूने,
चीज बनायीं
खुदा तूने,
तेरे ही मंदिर
में,
में,
तेरी ही मस्जिद
में,
में,
तेरे ही बंदे,
तेरे ही सामने
रोते हैं,
रोते हैं,
तुझे नहीं, किसी
और को
पाने के
लिए…!
और को
पाने के
लिए…!
=-=-=-=-=
कुछ करना ही
है तुझको
तो ये
करम कर
दे ..
है तुझको
तो ये
करम कर
दे ..
मेरे खुदा तू
मेरी ख्वाहिशों
को ही
कम कर
दे. !
मेरी ख्वाहिशों
को ही
कम कर
दे. !
=-=-=-=-=
दर्द तो अकेले
ही सहते
हैं सभ…
ही सहते
हैं सभ…
भीड़ तो बस
फ़र्ज़ अदा
करती है..
फ़र्ज़ अदा
करती है..
=-=-=-=-=
इस कदर भूखा
हूँ ऐ
मेरे दोस्तों..
हूँ ऐ
मेरे दोस्तों..
कि आजकल धोखा
भी खा
लेता हूँ!!
भी खा
लेता हूँ!!
=-=-=-=-=
भूख रिश्तों को
भी लगती
है,
भी लगती
है,
प्यार परोस कर
तो देखिये…….!
तो देखिये…….!
=-=-=-=-=
एक कब्र पर
लिखा था…
लिखा था…
“किस को क्या
इलज़ाम दूं
दोस्तो,
इलज़ाम दूं
दोस्तो,
जिन्दगी में सताने
वाले भी
अपने थे
और दफनाने
वाले भी
अपने थे..”
वाले भी
अपने थे
और दफनाने
वाले भी
अपने थे..”
=-=-=-=-=
मतलबी दुनिया के
लोग खड़े
हैं, हाथो
में पत्थर
लेकर,
लोग खड़े
हैं, हाथो
में पत्थर
लेकर,
मैं कहा तक
भागू शिशे
का मुकद्दर
लेकर..
भागू शिशे
का मुकद्दर
लेकर..
=-=-=-=-=
वो बचपन कितना
सुहाना था
सर ए
आम रोया
करते थे
…
सुहाना था
सर ए
आम रोया
करते थे
…
अब एक आँसू
भी गिरे
तो लोग
हजारों सवाल
करते है….
भी गिरे
तो लोग
हजारों सवाल
करते है….
=-=-=-=-=
“आवारगी छोड़ दी
हमने
हमने
तो लोग भूलने
लगे है
लगे है
वरना
शोहरत कदम चूमती
थी
थी
जब हम बदनाम
हुआ करते
थे…”
हुआ करते
थे…”
=-=-=-=-=
मैं वो शखश
नही जो
दिल पे
खंजर न
ले सकूं,
नही जो
दिल पे
खंजर न
ले सकूं,
तुम ईतना ईमान
रखना, सामने
से वार
करना…
रखना, सामने
से वार
करना…
=-=-=-=-=
मशहूर हो गया
हूँ तो
ज़ाहिर है
दोस्तो
हूँ तो
ज़ाहिर है
दोस्तो
इलज़ाम सौ तरह
के मेरे
सर भी
आयेंगे,
के मेरे
सर भी
आयेंगे,
थोड़ा सा अपनी
चाल बदल
कर चलो,
चाल बदल
कर चलो,
सीधे चले तो
पींठ में
खंज़र भी
आयेंगे…..
पींठ में
खंज़र भी
आयेंगे…..
=-=-=-=-=
“रफ़्तार कुछ ज़िन्दगी
की यूँ
बनाये रख
ग़ालिब,
की यूँ
बनाये रख
ग़ालिब,
कि
दुश्मन भले आगे
निकल जाए
निकल जाए
पर
दोस्त कोई पीछे
न छूटे…….
न छूटे…….
=-=-=-=-=
पाना है जो
मुकाम वो
अभी बाकी
है.
मुकाम वो
अभी बाकी
है.
अभी तो आए
है जमीं
पर . आसमान
की उडान
अभी बाकी
है.
है जमीं
पर . आसमान
की उडान
अभी बाकी
है.
अभी तो सुना
है लोगो
ने सिर्फ
मेरा नाम.
है लोगो
ने सिर्फ
मेरा नाम.
अभी इस नाम
कि पहचान
बनाना बाकी
है….
कि पहचान
बनाना बाकी
है….
=-=-=-=-=
मुस्कुराना तो मेरी
शख्सियत
शख्सियत
का एक हिस्सा
है दोस्तों…..
है दोस्तों…..
तुम मुझे खुश
समझ कर
समझ कर
दुआओ में भूल
मत जाना….
मत जाना….
=-=-=-=-=
“डर मुझे भी
लगा फांसला
देख कर;
लगा फांसला
देख कर;
पर मैं बढ़ता
गया रास्ता
देख कर;
गया रास्ता
देख कर;
खुद ब खुद
मेरे नज़दीक
आती गई;
मेरे नज़दीक
आती गई;
मेरी मंज़िल मेरा
हौंसला देख
कर।”
हौंसला देख
कर।”
=-=-=-=-=
क़दर किरदार की
होती है…
वरना…
होती है…
वरना…
कद में तो
साया भी
इंसान से
बड़ा होता
है..
साया भी
इंसान से
बड़ा होता
है..
“डर मुझे भी
लगा फांसला
देख कर;
लगा फांसला
देख कर;
पर मैं बढ़ता
गया रास्ता
देख कर;
गया रास्ता
देख कर;
खुद ब खुद
मेरे नज़दीक
आती गई;
मेरे नज़दीक
आती गई;
मेरी मंज़िल मेरा
हौंसला देख
कर।”
हौंसला देख
कर।”
=-=-=-=-=
क़दर किरदार की
होती है…
वरना…
होती है…
वरना…
कद में तो
साया भी
इंसान से
बड़ा होता
है..
साया भी
इंसान से
बड़ा होता
है..
=-=-=-=-=
मुझे जिंदगी का
इतना तजुर्बा
तो नहीं,
इतना तजुर्बा
तो नहीं,
पर सुना है
सादगी मे
लोग जीने
नहीं देते।
सादगी मे
लोग जीने
नहीं देते।
‘हम वो
हैं जो
हार कर
भी यह
कहते हैं;
हैं जो
हार कर
भी यह
कहते हैं;
वो मंज़िल ही
बदनसीब थी,
जो हमें
ना पा
सकी;
बदनसीब थी,
जो हमें
ना पा
सकी;
वर्ना जीत की
क्या औकात;
जो हमें
ठुकरा दे..
क्या औकात;
जो हमें
ठुकरा दे..
=-=-=-=-=
हर एक इंसान
हवा में
उडा फिरता
है…
हवा में
उडा फिरता
है…
फिर न जाने
धरती पर
इतनी भीड़
क्यों हैl
धरती पर
इतनी भीड़
क्यों हैl
=-=-=-=-=
पाना है जो
मुकाम वो
अभी बाकी
है.
मुकाम वो
अभी बाकी
है.
अभी तो आए
है जमीं
पर .
है जमीं
पर .
आसमान की उडान
अभी बाकी
है.
अभी बाकी
है.
अभी तो सुना
है लोगो
ने सिर्फ
मेरा नाम.
है लोगो
ने सिर्फ
मेरा नाम.
अभी इस नाम
कि पहचान
बनाना बाकी
है…
कि पहचान
बनाना बाकी
है…
=-=-=-=-=
मेरे खुदा तू
मेरी ख्वाहिशों
को ही
कम कर
दे.. !
मेरी ख्वाहिशों
को ही
कम कर
दे.. !
=-=-=-=-=
मुझको क्या हक…
मैं किसी को
मतलबी कहूँ,
मतलबी कहूँ,
मै खुद ही
ख़ुदा को…
ख़ुदा को…
मुसीबत में याद
करता हूँ
करता हूँ
=-=-=-=-=
भरी जेब ने
‘ दुनिया ‘ की पहेचान करवाई…
‘ दुनिया ‘ की पहेचान करवाई…
और
खाली जेब ने
‘ इन्सानो ‘ की……
‘ इन्सानो ‘ की……
=-=-=-=-=
Nigaho pe nigaho ke pehere hote hai. In nigaho ke ghav bhi
gehere hote hai.
gehere hote hai.
Na jane q koste hai log badsurato ko, Barbad karne wale to
khubsurat chehre hote hai.
khubsurat chehre hote hai.
=-=-=-=-=
Agar khuda nahi to zikre kyu …
aur khuda hai to phir fikre kyu……
=-=-=-=-=
Mulaqate jaruri hei rishte bachaane ke liye
lagaakar bhul jaane se poudhe sukh jaate hei…
=-=-=-=-=
जाम पे जाम
पीने का
क्या फ़ायदा,
पीने का
क्या फ़ायदा,
शाम को पी
सुबह उतर
जाएगीm,
सुबह उतर
जाएगीm,
अरे दो बून्द
दोस्ती के
पी ले
दोस्ती के
पी ले
ज़िन्दगी सारी नशे
में गुज़र
जाएगी..
में गुज़र
जाएगी..
=-=-=-=-=
खुद में काबिलियत
हो तो
भरोसा कीजिये
साहिब।
हो तो
भरोसा कीजिये
साहिब।
सहारे कितने भी
अच्छे हो
साथ छोड
जाते है।
अच्छे हो
साथ छोड
जाते है।
=-=-=-=-=
युं ही हम
दिल को
साफ़ रखा
करते थे…
दिल को
साफ़ रखा
करते थे…
पता नही था
की ‘किमत
चेहरों की
होती है..!!’
की ‘किमत
चेहरों की
होती है..!!’
=-=-=-=-=
ऐ अंधेरे देख
ले मुँह
तेरा काला
हो गया
….
ले मुँह
तेरा काला
हो गया
….
माँ ने आँखें
खोल दीं
घर में
उजाला हो
गया …
खोल दीं
घर में
उजाला हो
गया …
=-=-=-=-=
कब ठीक होता
है हाल
किसी के
पूछने से…..
है हाल
किसी के
पूछने से…..
बस तसल्ली हो
जाती है
कोई फिकरमंद
है अपना…..!!
जाती है
कोई फिकरमंद
है अपना…..!!
=-=-=-=-=
कभी फूलों की
तरह मत
जीना,
तरह मत
जीना,
जिस दिन खिलोगे…
टूट कर
बिखर्र जाओगे
।
टूट कर
बिखर्र जाओगे
।
जीना है तो
पत्थर की
तरह जियो;
पत्थर की
तरह जियो;
जिस दिन तराशे
गए… “खुदा”
बन जाओगे
।।
गए… “खुदा”
बन जाओगे
।।
=-=-=-=-=
बुरा नहीं सोचा
मैंने कभी
भी किसी
के लिए……
मैंने कभी
भी किसी
के लिए……
जिसकी जैसी सोच
उसने वैसा
ही जाना
मुझे ..
उसने वैसा
ही जाना
मुझे ..
=-=-=-=-=
कैद कर दिया
सापों को
ये कहकर
सपेरे ने.
सापों को
ये कहकर
सपेरे ने.
बस अब ईन्सानो
को डसने
के लिये
ईन्सान काफी
है.
को डसने
के लिये
ईन्सान काफी
है.
=-=-=-=-=
मौत का आलम
देख कर
तो ज़मीन
भी दो
गज़ जगह
दे देती
है…
देख कर
तो ज़मीन
भी दो
गज़ जगह
दे देती
है…
फिर यह इंसान
क्या चीज़
है जो
ज़िन्दा रहने
पर भी
दिल में
जगह नहीं
देता…
क्या चीज़
है जो
ज़िन्दा रहने
पर भी
दिल में
जगह नहीं
देता…
=-=-=-=-=
रेगिस्तान भी ” हरा
” होता हे..,
” होता हे..,
जब ” पर्श ” नोटों
से भरा
होता हे..!
से भरा
होता हे..!
=-=-=-=-=
शायद ख़ुशी का
दौर भी
आ जाये
एक दिन….
दौर भी
आ जाये
एक दिन….
गम भी तो
मिल गए
थे तमन्ना
किये बगैर…
!
मिल गए
थे तमन्ना
किये बगैर…
!
=-=-=-=-=
नेकियाँ कर के
जो दरिया
में डाल
दोगे अभी;
जो दरिया
में डाल
दोगे अभी;
वही तूफानों में
कश्तियाँ बन
कर साथ
देंगी कभी।
कश्तियाँ बन
कर साथ
देंगी कभी।
=-=-=-=-=
वो कहते हैं
सोच लेना
था मुहब्बत
करने से
पहले।
सोच लेना
था मुहब्बत
करने से
पहले।
अब उनको कौन
समझाए
समझाए
सोच कर तो
साजिश की
जाती हैं
मुहब्बत
साजिश की
जाती हैं
मुहब्बत
नहीं।।
=-=-=-=-=
दिमाग से प्यार
और दिल
से फैसले
और दिल
से फैसले
दोनों ही बेहतर
नहीं होते।
…
नहीं होते।
…
=-=-=-=-=
कभी कभी पत्थर
की ठोकर
से भी
नहीं आती
खरोंच,
की ठोकर
से भी
नहीं आती
खरोंच,
और कभी ज़रा
सी बात
से इंसान
बिखर जाता
है..
सी बात
से इंसान
बिखर जाता
है..
=-=-=-=-=
किसी को क्या
हासिल होगा
मुझे याद
करने से,
हासिल होगा
मुझे याद
करने से,
मैं तो एक
आम इंसान
हूँ और
यहाँ तो
हर किसी
को ख़ास
की तलाश
है….
आम इंसान
हूँ और
यहाँ तो
हर किसी
को ख़ास
की तलाश
है….
=-=-=-=-=
चंद सिक्को की
विडंबना है,
जो खुद
का बच्चा
रोता छोङ
विडंबना है,
जो खुद
का बच्चा
रोता छोङ
मालकिन के बच्चो
को रोज
खिलाने जाती
है वो
… ।।।
को रोज
खिलाने जाती
है वो
… ।।।
=-=-=-=-=
जिसने इस दौर
के इन्सान
किये है
पैदा
के इन्सान
किये है
पैदा
वो मेरा भी
खुदा होगा
मुझे मंज़ूर
नहीं |
खुदा होगा
मुझे मंज़ूर
नहीं |