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ज़रा पाने कीचाहत में बहुतकुछ छूट जाताहै
न जाने सबरका धागा कहांपर टूट जाताहै
किसे हमराह कहते होयहाँ तो अपनासाया भी
कहीं पर साथरहता है कहींपर छूट जाताहै….!!
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