होके मायुस ना यु शाम की तरह ढलते रहिये,
जिन्दगी एक भोर है सुरज कि तरह निकलते रहिये,
ठहरोगे एक पाव पर तो थक जाओगे,
धीरे धीरे ही सही मगर राह पर चलते रहिये..
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तुम्हारे जैसे हमने देखनेवाले नहीं देखे |
जिगर में किस तरह से रंजो ग़म पाले नहीं देखे ||
यहाँ पर जात मजहब का हवाला सबने देखा है|
किसी ने भी हमारे पाओं के छाले नहीं देखे ||
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कदम उठने नहीं पाते, के रास्ता काट देता है|
मेरे मालिक मुझे आखिर तू कब तक आजमाएगा||
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हमने भी सोकर देखा हैं नए पुराने सहरो में
पर जैसा भी हो अपने गर का बिस्तर अच्छा लगता हैं
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ठिकाना कब्र है तेरा, इबादत कुछ तो कर ग़ाफिल,
कहावत है कि खाली हाथ घर जाया नहीं करते..
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फ़िक्र-ऐ -ज़िन्दगी ने थोड़े फासले बड़ा दिए हैं वरना
सब दोस्त साथ ही थे ,अभी कल की ही तो बात हैं
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क्या हुआ जो बदल गयी है दुनिया
मैं भी तो बहोत बदल गया हूँ
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मोहब्बतें तो कभी रास न आई हमको
नफरतों के बीच कभी हम रहे ही नहीं
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तहज़ीब में भी उसकी क्या ख़ूब अदा थी,,
नमक भी अदा किया तो ज़ख़्मों पर छिड़क कर.!!!!!
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हर शख्स दौड़ता हैं यहाँ भीड़ की तरफ
फिर भी चाहता है उसे रास्ता मिले
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