
हर रिश्ते में विश्वास रहने दो;
जुबान पर हर वक़्त मिठास रहने दो;
यही तो अंदाज़ है जिंदगी जीने का;
न खुद रहो उदास, न दूसरों को रहने दो।
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बुरे वक़्त में भी.एक अच्छाई होती है
जैसे ही ये आता है.फ़ालतू के दोस्त विदा हो जाते हैं!!!
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असल में वही जीवन की चाल समझता है
जो सफ़र में धूल को गुलाल समझता है ..!
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गुज़रते लम्हों में सदिया तलाश करता हूँ,
ये मेरी प्यास है नदिया तलाश करता हूँ.
यहाँ तो लोग गिनाते है खूबियां अपनी,
में अपने आप में खामियां तलाश करता हूँ!!
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रास्ते कहाँ ख़त्म होते हैं ज़िन्दगी के सफ़र में,
मंज़िल तो वहीँ है जहां ख्वाहिशे थम जाए !
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जी भरके रोते है तो करार मिलता है,
इस जहां मे कहां सबको प्यार मिलता है,
जिंदगी गुजर जाती है इम्तिहानो के दौर से,
एक जख्म भरता है तो दूसरा तैयार मिलता है
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नर्म लफ़्ज़ों से भी लग जाती है चोटें अक्सर,
रिश्ते निभाना बड़ा नाज़ुक सा हुनर होता है
मुझे जिंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं,
पर सुना है सादगी मे लोग जीने नहीं देते।
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मेरा कारनामा-ए-जिंदगी, मेरी हसरतों के सिवा कुछ नहीं,
ये किया नहीं,वो हुआ नहीं,ये मिला नहीं,वो रहा नहीं.
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हवा के साथ उड़ गया घर इस परिंदे का,
कैसे बना था घोसला वो तूफान क्या जाने !
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तुम शराफ़त को बाज़ार में क्यूँ ले आए हो
दोस्त
ये सिक्का तो बरसों से नहीं चलता!!
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जिन्दगी जख्मो से भरी है ,वक़्त को मरहम बनाना सिख लें ,
हारना तो है मोत के सामने ,फ़िलहाल जिन्दगी से जीना सिख लें
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कुछ इस तरह से वफ़ा की मिसाल देता हूँ
सवाल करता है कोई तो टाल देता हूँ
उसी से खाता हूँ अक्सर फरेब मंजिल का
मैं जिसके पाँव से काँटा निकाल देता हु
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सिर्फ चेहरा ही नहीं शख्सियत भी पहचानो ,
जिसमें दिखता हो वही आईना नहीं होता !
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मेरी हिम्मत को परखने की गुस्ताखी न हो,
पहले भी कई तूफानों का रुख मोड़ चुका हु .
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बन्दगी से भी अच्छा एक काम कर लीया,
माँ के चश्मे को रुमाल से साफ कर लिया
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मैंने मुल्कों की तरह, लोगों के दिल जीते हैं
ये हुकूमत किसी, तलवार की मोहताज नही.
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एक मुद्दत से मेरी माँ सोयी नही है .
मैने एक बार कहा था मुझे डर लगता है
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मेरी ख्वाहिश है कि मै फिर से फ़रिश्ता हो जाऊं
माँ से इस तरह लिपटू कि बच्चा हो जाऊ
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कभी मिल सको तो इन पंछियो की तरह बेवजह मिलना ए दोस्त
वजह से मिलने वाले तो न जाने हर रोज़ कितने मिलते है ..!!
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मैं खुल के हँस रहा हूँ फकीर होते हुए
वो मुस्कुरा भी ना पाया अमीर होते हुए
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समझौतों की भीड़-भाड़ में सबसे रिश्ता टूट गया
इतने घुटने टेके हमने आख़िर घुटना टूट गया
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ऐसा नही है कि मुझमे कोई ‘ऐब’नही है..
पर सच कहता हूँ मुझमें ‘फरेब’नहीं है ..!
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मौत का आलम देख कर तो ज़मीन भी दो गज़ जगह दे देती है
फिर यह इंसान क्या चीज़ है जो ज़िन्दा रहने पर भी दिल में जगह नहीं देता
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शायद ख़ुशी का दौर भी आ जाये एक दिन
गम भी तो मिल गए थे तमन्ना किये बगैर !
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नये कमरों में ये चीज़ें पुरानी कौन रखता है
परिंदों के लिए शहरों में पानी कौन रखता है
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नफरतों को जलाओ मोहोब्बत की रौशनी होगी..
वरना- इंसान जब भी जले हैं ख़ाक ही हुए है..!
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झूठ बोलने का रियाज़ करता हूँ , सुबह और शाम मैं !
सच बोलने की अदा ने हमसे , कई अजीज़ ‘यार’ छीन लिये .!!!!
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खुशबू बनकर गुलों से उड़ा करते हैं, धुआं बनकर पर्वतों से उड़ा करते हैं,
ये कैंचियाँ खाक हमें उड़ने से रोकेगी, हम परों से नहीं हौसलों से उड़ा करते हैं.
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दोड़ती भागती दुनिया का यही तौफा है,
खूब लुटाते रहे अपनापन फिर भी लोग खफ़ा है
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“शौक तो माँ-बाप के पैसो से पूरे होते हैं..,
अपने पैसो से तो बस ज़रूरतें ही पूरी हो पाती हैं.
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इक उम्र गुज़ार दी हमने,रिश्तों का मतलब समझने में,
लोग मसरूफ हैं, मतलब के रिश्ते बनाने में.!!!!
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यहाँ हर किसी को, दरारों में झाकने की आदत है,
दरवाजे खोल दो, कोई पूछने भी नहीं आएगा!!
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ज़िंदगी उसी को आज़माती है,
जो हर मोड़ पर चलना जानता है.
कुछ पाकर तो हर कोई मुस्कुराता है,
ज़िंदगी उसी की होती है जो सब खोकर भी मुस्कुराना जानता है.
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पकाई जाती है रोटी जो मेहनत के कमाई से,
हो जाए गर बासी तो भी लज्ज़त कम नहीं होती,
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मज़हब, दौलत, ज़ात, घराना, सरहद, ग़ैरत, खुद्दारी,
एक मुहब्बत की चादर को, कितने चूहे कुतर गए.
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तरक्की की फसल, हम भी काट लेते..!
थोड़े से तलवे, अगर हम भी चाट लेते..!!
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“तारीख हज़ार साल में बस इतनी सी बदली है,.
तब दौर पत्थर का था अब लोग पत्थर के हैं”
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भले जुबान अलग पर जज्बात तो एक है,
उसे खुदा कहूँ या भगवान बात तो एक है.
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मुझसा ही आलसी मेरा खुदा है !
ना मै कुछ मांगता हूँ, ना वो कुछ देता है !!
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ऐ बुरे वक़्त ”
जरा तेज चल ।।।
देख उस मोड़ को ”
वहा से तू बदलने वाला हे।
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“मेरे बारे मे कोइ राय मत बनाना गालिब.
मेरा वक्त भी बदलेगा.. तेरी राय भी.”.!!!
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सोचते है, अब हम भी सीख ले यारों बेरुखी करना,,,,,,
सबको मोहब्बत देते-देते, हमने अपनी कदर खो दी है,,,,,,!
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सीख ली जिसने अदा गम में मुस्कुराने की,
उसे क्या मिटायेंगी गर्दिशे जमाने की…
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किसी के ऐब को तू बेनकाब ना कर,
खुदा हिसाब करेगा तू खुद हिसाब ना कर,
बुरी नज़र से ना देख मुझ को देखने वाले,
मैं लाख बुरा सही तू अपनी नज़र खराब ना कर..
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आज लाखो रुपये बेकार है
वो एक रुपये के सामने
जो माँ स्कूल जाते वक्त देती थी.
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उठाना खुद ही पडता है थका टूटा बदन अपना
कि जब तक सांस चलती है कोई कंधा नहीं देता
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“वो छोटी छोटी उड़ानों पे गुरुर नहीं करता
जो परिंदा अपने लिये आसमान ढूँढ़ता है !!”
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लोग कहते हैं की इतनी दोस्ती मत करो
के दोस्त दिल पर सवार हो जाए
में कहता हूँ दोस्ती इतनी करो के
दुश्मन को भी तुम से प्यार हो जाए.
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मुस्कराते रहो तो दुनिया आप के कदमों मे होगी
वरना आसुओ को तो आखे भी जगह नही देती
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घर के बाहर भले ही दिमाग ले जाओ.. क्योंकि दुनियाँ एक ‘बाजार’ है,
लेकिन घर के अंदर सिर्फ दिल ले जाओ क्योंकि वहाँ एक ‘परिवार’ है !!!!
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कुछ ऐब का होना भी ठीक ही है मालिक.
सुना है आप अच्छे लोगो को जल्दी बुला लेते हो.
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“कोई तेरे साथ नहीं है तो गम ना कर,
खुद से बढ़कर कोई दुनिया में हमसफ़र नहीं होता !!”
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पूछता हे जब कोई की। दुनिया मै मोहब्बत है कहा ।।
मुस्कुरा देता हु मै ओर याद आ जाती है माँ
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घेर लेने को मुझे जब भी बलाएँ आ गईं
ढाल बन कर सामने माँ की दुआएँ आ गईं
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“उम्र भर चलते रहे मगर कंधो पे आये कब्र तक,
बस कुछ कदम के वास्ते गैरों का अहसान हो गया!!
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बुलंद हो होंसला तो मुठी में हर मुकाम हे,ll
मुश्किले और मुसीबते तो ज़िंदगी में आम हे,ll
ज़िंदा हो तो ताकत रखो बाज़ुओ में लहरो के खिलाफ तैरने कि ,
क्योकि लहरो के साथ बहना तो लाशो का काम हे.
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जो लोग दिल के अच्छे होते है,..
दिमाग वाले अक्सर उनका जम कर फायदा उठाते है ।।
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उधार के उजाले से चमकने वाले चाँद कि आँखों में चुभता हूँ
जुगनू हूँ थोडा लेकिन खुद का उजाला लेके घूमता हूँ
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मैंने तक़दीर पे यक़ीन करना छोड़ दिया है !
जब इंसान बदल सकते है तो ये तकदीर क्यो नही ?
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जिसको गलत तस्वीर दिखाई, उसको ही बस खुश रख पाया..
जिसके सामने आईना रक्खा, हर शख्स वो मुझसे रूठ गया.
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सफ़र के इतिहास कि बात न करो ऐ दोस्त,
बस मुझे अगला कदम रखने के लिए जमीन दो
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न मेरा एक होगा, न तेरा लाख होगा,
तारिफ तेरी, न मेरा मजाक होगा,
गुरुर न कर शाह-ए-शरीर का,
मेरा भी खाक होगा, तेरा भी खाक होगा
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मुहब्बत आजमानी है, तो बस इतना ही काफी है,
जरा सा रूठ कर देखो, मनाने कोन आता है
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ज़िन्दगी सस्ती है
जीने के ढंग महँगे हैं
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एक छुपी हुई पहचान रखता हूँ,
बाहर शांत हूँ, अंदर तूफान रखता हूँ,
रख के तराजू में अपने दोस्त की खुशियाँ,
दूसरे पलड़े में मैं अपनी जान रखता हूँ।
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जिंदगी में हद से ज्यादा ख़ुशी और हद से ज्यादा गम का कभी किसी से इज़हार मत करना।
क्योंकि, ये दुनिया बड़ी ज़ालिम है।
हद से ज्यादा ख़ुशी पर ‘नज़र’ और हद से ज्यादा गम पर ‘नमक’लगाती है।
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खुदा पर भरोसे का हुनर सिख ले ऐ दोस्त
सहारे जितने भी सच्चे हो साथ छोड़ ही जाते है
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सूरज नहीं डूबा ज़रा सी शाम होने दो”
मैं खुद लौट जाउंगा मुझे नाकाम होने दो”
मुझे बदनाम करने का बहाना ढूँढ़ते हो क्यों
मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले नाम होने
दो..
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ज़िंदा हो तो ताकत रखो बाज़ुओ में लहरो से लड़ने की,
क्योकि लहरो के साथ बहना तो लाशो का काम है .
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मेरी इबादतों को ऐसे कर कबूल ऐ मेरे खुदा,
के सजदे में मैं झुकूं
तो मुझसे जुड़े हर रिश्ते की जिंदगी संवर जाए..!!
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रोज तारीख बदलती है,
रोज दिन बदलते हैं
रोज अपनी उमर भी बदलती है
रोज समय भी बदलता है
हमारे नजरिये भी वक्त के साथ बदलते हैं
बस एक ही चीज है जो नहीं बदलती
और वो हैं हम खुद और बस इसी वजह से
हमें लगता है कि अब जमाना बदल गया है!!
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दोस्ती उन से करो जो निभाना जानते हो,
नफ़रत उन से करो जो भुलाना जानते हो,
ग़ुस्सा उन से करो जो मनाना जानता हो,
प्यार उनसे करो जो दिल लुटाना जानता हो.
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जो खानदानी रईस हैं वो, रखते हैं मिजाज़ नर्म अपना..
तुम्हारा लहजा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई नई है
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जिसे मौका मिलता है पीता जरुर है,
दोस्त,
जाने क्या मिठास है गरीब के खून में ..!!
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कितने मसरूफ़ हैं हम जिंदगी की कशमकश में
इबादत भी जल्दी में करते हैं फिर से गुनाह करने के लिए
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मुझे रिश्तो की लम्बी कतारो से मतलब नही,
ए – दोस्त
कोई दिल से हो मेरा तो बस इक शक्स ही काफी है.
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तेरे डिब्बे की वो दो रोटियाँ कहीं बिकती नहीं..
माँ, महंगे होटलों में आज भी.. भूख मिटती नहीं.
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जिन्दगी की उलझनों ने; कम कर दी हमारी शरारते;
और लोग समझते हैं कि; हम समझदार हो गये..!!
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रंगो की बात न करो दोस्तो.!
मैने लोगो को रंग बदलते देखा है !!..
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किसी ने आँख भी खोली तो सोने की नगरी में,
किसी को घर बनाने में ज़माने बीत जाते हैं।
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पहले मैं होशियार था, इसलिए दुनिया बदलने चला था।
आज मैं समझदार हूँ, इसलिए खुद को बदल रहा हूँ
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हंसने के बाद क्यों रुलाती है दुनियां,
जाने के बाद क्यों भुला देती है ये दुनियां,
जिंदगी में क्या कोई कसर बाकी थी,
जो मरने के बाद भी जला देती है ये दुनियां.
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हर् स्कूल में लिखा होता है,असूल तोडना मना है ..!!
हर बाग में लिखा होता है ,फूल तोडना मना है ..!!
हर खेल मैं लिखा होता है ,रूल तोडना मना है ..!!
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काश ..!!
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मोहब्बत और दोस्ती मैं भी लिखा होता की ..,
किसी का दिल तोडना मना है ..!
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जब लगा था तीर तब इतना दर्द न हुआ..
ज़ख्म का एहसास तब हुआ जब कमान देखी अपनों के हाथ में!!
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मै झुकता हूँ हमेशा आँसमा बन के
जानता हूँ कि ज़मीन को उठने की आदत नही.
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घड़ा सर पर रख कर पानी बड़ी दूर से लाती है,
माँ की होली तो रोज होती है,वो रोज भीग जाती है।
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सूरज ढला तो कद से ऊँचे हो गए साये
कभी इन्ही परछाईयो को पैरों से रौंदते हम गए.
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ले दे के अपने पास फ़कत एक नजर तो है,
क्युँ देखे जिंदगी को किसी की नजर से हम..
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वक़्त नूर को बेनूर बना देता है, छोटे से जख्म को नासूर बना देता है,
कौन चाहता है अपनों से दूर रहना, पर वक़्त सबको मजबूर बना देता है.
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डर मुझे भी लगा फ़ासला देख कर,
पर मैं बढ़ता गया रास्ता देख कर.
खुद ब खुद मेरे नज़दीक आती गई,
मेरी मंज़िल मेरा हौंसला देख कर..!!